नैनीताल में आयोजित हुआ चतुर्थ नक्षत्र सभा, खगोल पर्यटन का अद्भुत अनुभव

उत्तराखंड के नैनीताल में आयोजित चतुर्थ नक्षत्र सभा ने खगोल पर्यटन के प्रेमियों को एक अद्भुत अनुभव प्रदान किया। इस कार्यक्रम में 100 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया, जिसमें देश-विदेश के कई शहरों से लोग शामिल हुए। उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद और एस्ट्रोटूरिज्म कंपनी स्टार्सस्केप्स के सहयोग से यह आयोजन हुआ, जो भारत का पहला खगोल पर्यटन अभियान है। यह कार्यक्रम खगोल विज्ञान से जुड़े अनुभवों को साझा करने का एक अनूठा प्रयास है।

स्थानीय किंवदंतियों और खगोल विज्ञान का अद्भुत मेल

कार्यक्रम में शामिल होने वाले प्रतिभागियों को नैनीताल की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और खगोल विज्ञान के अद्भुत पहलुओं से परिचित कराया गया। यहां वे स्थानीय किंवदंतियों, सितारों और झील के निर्माण की कहानियों से भी रूबरू हुए। ठंड के मौसम में देवदार के पेड़ों के नीचे डेरा डाले गए, जहां प्रतिभागियों ने सर्दी में सूर्यास्त का दृश्य देखा और तारे के नीचे शानदार कहानियां साझा कीं। इसके अलावा, टेलिस्कोप के माध्यम से ग्रहों, एंड्रोमेडा गैलेक्सी और निहारिकाओं के करीब से दृश्य देखने का मौका भी मिला। खगोल फोटोग्राफी पर एक सत्र आयोजित किया गया, जिससे इस क्षेत्र में रुचि रखने वालों को नए दृष्टिकोण मिले।

नक्षत्रों के महत्व पर विचार और वेधशाला का दौरा

कार्यक्रम में होमी भाभा सेंटर फॉर साइंस एजुकेशन के एसोसिएट प्रोफेसर अंकित सुले ने नक्षत्रों के महत्व पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने प्राचीन कैलेंडरों में नक्षत्रों की भूमिका और शुरुआती सभ्यताओं में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में जानकारी दी। इस दौरान प्रतिभागियों ने आर्यभट्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ ऑब्जर्वेशनल साइंसेज की वेधशाला का भी दौरा किया, जहां 104 सेंटीमीटर की दूरबीन और खगोलीय अनुसंधान के बारे में जानकारी दी गई।

नक्षत्र सभा का महत्व और उत्तराखंड के पर्यटन स्थलों की पहचान

उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद के सीईओ और पर्यटन सचिव सचिन कुर्वे ने इस आयोजन की महत्ता को उकेरते हुए कहा कि नक्षत्र सभा उत्तराखंड के कुछ सबसे अनछुए और आश्चर्यजनक स्थानों को प्रदर्शित कर रही है। मसूरी के ऐतिहासिक जॉर्ज एवरेस्ट से लेकर नैनीताल के मनमोहक दृश्यों तक, इस अभियान ने उत्तराखंड की अनूठी खूबसूरती को उजागर किया है। उन्होंने बताया कि यह अभियान अब अपने पहले चरण के आधे रास्ते पर पहुंच चुका है और यह स्पष्ट रूप से दिखाता है कि लोग उत्तराखंड की सुंदरता और विरासत से किस प्रकार जुड़ते हैं।

स्टार्सस्केप्स की सफलता और खगोल पर्यटन की संभावनाएं

इस आयोजन की सफलता पर टिप्पणी करते हुए स्टार्सस्केप्स के संस्थापक रामाशीष रे ने कहा कि नक्षत्र सभा के प्रत्येक संस्करण के लिए मिल रही प्रतिक्रिया आश्चर्यजनक है। चौथे आयोजन के बावजूद प्रतिभागियों की रुचि लगातार बढ़ रही है, जो यह दर्शाता है कि भारत में खगोल पर्यटन के लिए बहुत संभावनाएं हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह की पहल न केवल ब्रह्मांड के बारे में जिज्ञासा बढ़ाती है, बल्कि हमें प्रकृति के और करीब लाती है।

आगामी सत्र और खगोल विज्ञान में रुचि बढ़ाने की योजना

रामाशीष रे ने कहा कि नक्षत्र सभा 2024 के अंतिम संस्करण का हिस्सा है, जिसमें अगला सत्र गहरे आकाश की वस्तुओं पर केंद्रित होगा। 2025 के मध्य तक चलने वाले इस अभियान में खगोल विज्ञान में रुचि रखने वालों के लिए विशेषज्ञों के सेमिनार और वेबिनार आयोजित किए जाएंगे। इसके माध्यम से उत्तराखंड के अनछुए स्थानों, जैसे कार्तिक स्वामी, रुद्रप्रयाग और पिथौरागढ़ को कवर किया जाएगा।

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